समोसा गान
समोसा गान
चौपाई छन्द
आज सुनाती आपको, समोसे का बखान।
खाय जी भर सभी इसे, कमियाँ इसकी जान।
गरमा गरम समोसे चटनी, महिमा इसकी जाय न बरनी।
देख के मुँह में आये पानी, झट खाने पर शरम न आनी।
मन करता है ज्यादा खाऊं, हिस्सा दूसरे का भी उड़ाऊँ।
खाते ले ले कर चटकारे, पेट भरे फिर बाद डकारे।
साथ में चाय भी मिल जाये, परमानंद प्राप्त हो जाये।
अदरक वाली कड़क सी चाय,साथ समोसे बहुत ही भाय।
अमीर-गरीब सब जन हैं खाते, खाने में नहि हैं शर्माते।
मेजों पर ये सजते पहले, सर्दी इनको देखत दहले।
चलचित्र में भी महिमा इसकी,नायिका भी दीवानी जिसकी।
हाथ समोसा नायक गाए, शालू शालू वो चिल्लाए।
मन पर होता। नहीं नियंत्रण, देख अधीरा होए तन मन।
चाय समोसा और मित्रजन, नहीं कोई बड़ा इससे धन।
लगी शर्त ज्यादा खाने की, सोचत नाहीं बाद के फल की।
पेट जब में गुड़ -गुड़ होए, पकड़ पेट तब-- काहें रोये।
डॉ जब भी प्रतिबंध लगाए,सपन समोसा आ ललचाये।
पत्नी को हो कभी मनाना।,गरम समोसे ले घर जाना।
भूल जायगी झगड़ा सारा, गिर। जाएगा उसका पारा।
किस विधि से हैं इसे बनाते, सबको भलीभाँति समझाते।
कर मैदे को पहले खस्ता, उबाल आलू सबसे सस्ता।
चटपटा मसाला फिर डालें, अच्छे से नमक मिला लें।
मैदे से तिकोन बनता , आलू भरा तेल में छनता।
गाया मैंने समोसा गान, आजहि समोसे लेना छान।
लेकर जी भर अपने खाना, थोड़ा मुझ तक भी पहुँचाना।
स्नेहलता पाण्डेय 'स्नेह'
28/10/21